"वेद" शब्द का अर्थ ज्ञान है, जो विद धातु से बना है, जिसका अर्थ है बिना किसी सीमा के जानना। वैदिक गणित भारत की वैदिक परंपरा से आता है। इसे 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में स्वामी भारती कृष्ण तीर्थजी द्वारा विकसित किया गया था।
वेद मानव अनुभव और ज्ञान का सबसे प्राचीन रिकॉर्ड हैं, जो पीढ़ियों से मौखिक रूप से प्रसारित होते रहे हैं और लगभग 5,000 साल पहले लिखे गए थे। ग्रंथों में चिकित्सा, वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित सहित ज्ञान की कई अन्य शाखाओं का वर्णन किया गया है। वैदिक गणित अंकगणित, बीजगणित और ज्यामिति से संबंधित गणित से संबंधित 16 सूत्रों पर आधारित है।
16 बुनियादी सूत्र या 'शब्द सूत्र' जो मानसिक, एक पंक्ति अंकगणित की एक प्राचीन लेकिन सरल प्रणाली का उपयोग करके सभी ज्ञात गणितीय समस्याओं को हल कर सकते हैं, जिसका उपयोग 2,500 साल पहले हिंदुओं द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता था। सभी वैदिक गणित एकता चेतना की समझ पर आधारित हैं जिसका अर्थ है कि वे प्रक्रियाओं या संख्या आधारों का उपयोग करते हैं जो इसके अनुरूप हैं:
वैदिक गणित एक प्राचीन भारतीय गणितीय पद्धति है, जिसे जगद्गुरु स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने पुनर्जीवित किया था। इस प्रणाली में 16 मूल सूत्र और 13 उपसूत्र शामिल हैं।
वैदिक गणित की विधियाँ अत्यधिक सरल, सहज और त्वरित होती हैं, जिससे गणितीय समस्याओं को हल करने में कम समय लगता है। इसका उपयोग अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, और कलन जैसे गणित के विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। वैदिक गणित की विधियाँ आसानी से समझी और याद की जा सकती हैं, जिससे यह छात्रों, शिक्षकों, और माता-पिता के लिए भी उपयोगी होती है।
वैदिक गणित की पुस्तक, जिसे स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने 1965 में लिखा, में अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक और संक्षिप्त विधियाँ दी गई हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद से वैदिक गणित की लोकप्रियता बढ़ी है, और अब इसे विश्वव्यापी रूप से सिखाया और सीखा जा रहा है।
वैदिक गणित की विशेषता यह है कि इसके सूत्र गणित के विभिन्न क्षेत्रों में लागू होते हैं और इसके द्वारा जटिल गणितीय समस्याओं को आसानी से हल किया जा सकता है। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
अंकगणित: वैदिक गणित के सूत्र अंकगणितीय गणनाओं को सरल और त्वरित बनाने में मदद करते हैं।
बीजगणित: वैदिक गणित के सूत्र बीजगणितीय समस्याओं को हल करने में उपयोगी होते हैं।
ज्यामिति और कलन: वैदिक गणित के सूत्र ज्यामितीय और कलन समस्याओं को हल करने में भी उपयोगी होते हैं।
वर्ग और घन: वैदिक गणित के कुछ सूत्र विशेष रूप से वर्ग और घन निकालने के लिए उपयोगी होते हैं।
इन सभी क्षेत्रों में वैदिक गणित के सूत्रों का उपयोग करने से गणितीय समस्याओं को हल करने की प्रक्रिया सरल और त्वरित हो जाती है।
|| वैदिक गणित के सोलह सूत्र ||
1. एकाधिकेन पूर्वेण
2. निखिलं नवतश्चरमं दशतः
3. ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्
4. परावर्त्य योजयेत्
5. शून्यं साम्यसमुच्चये
6. (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्
7. संकलनव्यवकलनाभ्याम्
8. पूरणापूरणाभ्याम्
9. चलनकलनाभ्याम्
10. यावदूनम्
11. व्यष्टिसमष्टिः
12. शेषाण्यंकेन चरमेण
13. सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्
14. एकन्यूनेन पूर्वेण
15. गुणितसमुच्चयः
16. गुणकसमुच्चयः
|| वैदिक गणित के तेरह उपसूत्र ||
1.आनुरुप्येण
2.शिष्यते शेषसंज्ञः
3. आद्यं आद्येन् अन्त्यम् अन्त्येन
4.केवलैः सप्तकं गुण्यात्
5.वेष्टनम्
6.यावदूनं तावदूनम्
7.यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्गं च योजयेत्
8.अन्त्ययोर्दशकेऽपी
9. अन्त्ययोरेव
10.समुच्चयगुणितः
11.लोपनस्थापनाभ्याम्
12.विलोकनम्
13. गुणितसमुच्चयः समुच्चयगुणितः
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