स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ, भारतीय संत और ज्ञानी, ने 1884 में तमिलनाडु, भारत में जन्म लिया था। उनका असली नाम वेंकटरामन था, जिन्होंने सन्यास लेने के बाद 'भारती कृष्ण तीर्थ' का नाम धारण किया।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने वेदांत, योग, और वेदों के अद्वितीय सिद्धांत पर आधारित ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने अपने जीवन को समर्पित कर विशेष रूप से वैदिक गणित के प्रचार-प्रसार में योगदान दिया।
स्वामी जी ने 33 वर्ष की आयु में संन्यास लेने का निर्णय किया और फिर विशेष रूप से भारतीय शिक्षा और सांस्कृतिक तत्त्वों को विश्वभर में प्रस्तुत करने का कार्य किया। उनके उपदेशों में साधना और सेवा की भावना थी, और उन्होंने लोगों को सहज तथा आसान रूप से गणना करने के लिए वैदिक गणित के विभिन्न सिद्धांतों को सिखाया।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने अपने उपदेशों और लेखन के माध्यम से सामाजिक जागरूकता बढ़ाई और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्त्वों की महत्वपूर्णता को बताया। उनका योगदान आज भी सांस्कृतिक एवं शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाता है, और उनके आदर्शों ने लाखों लोगों को मार्गदर्शन किया है।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने 1960 में अमेरिका में आत्महत्या का प्रयास किया और उनका यह निधन एक दुखद घटना थी, जो संतों के संस्कृति में एक महत्वपूर्ण योद्धा की भूमिका में रहे हैं।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने अपने जीवन में विचारशीलता और ध्यान के माध्यम से आत्मा की अद्वितीयता की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया। उनका संदेश था कि ध्यान, योग, और अद्वितीयता के माध्यम से मन को शांति और आत्मा को स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
वे विशेष रूप से वैदिक गणित में रुचि रखते थे और इसे आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कार्य करते रहे। उनकी प्रेरणा से उत्कृष्ट गणितीय विचारों की प्रस्तुति ने लोगों को सुलझे हुए और तेजी से गणना करने की कला सिखाई।
स्वामी जी ने अपने जीवन को भारतीय संस्कृति और धर्म के सेवानिवृत्ति में समर्पित किया, और उनका योगदान साधना, सेवा, और ज्ञान की प्रचंडता के साथ याद किया जाता है। उनके शिष्यों ने उनके उपदेशों को अपनी जीवनशैली में समाहित किया और उनकी अद्भुत उपदेशों ने उन्हें एक आदर्श गुरु बना दिया है।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ का आदृश जीवन और उनके विचारों ने समाज में ज्ञान और धर्म की महत्वपूर्ण बातें सिखाई हैं। उनका योगदान आज भी हमें उच्चतम मानकों की दिशा में मार्गदर्शन कर रहा है, और उनका आदर्श जीवन हमें सत्य और नैतिकता की महत्वपूर्णता को समझाता है।
स्वामी जी का वैदिक गणित में योगदान
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी ने अपने जीवन में वैदिक गणित में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस क्षेत्र में उनके अनूठे सिद्धांतों ने गणित को सरल और तेज़ बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
वे वैदिक गणित के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करने में निरंतर लगे रहे और लोगों को इसे सीखने के लिए प्रेरित किया। उनका मूल मंत्र था 'सरलता और तेज़ी से गणना करना', और इस मंत्र को अपनाकर वे गणितीय समस्याओं के नए समाधान प्रस्तुत करते थे।
स्वामी जी ने अपने उपदेशों में गणित को जीवन के हर क्षेत्र में लागू करने की महत्वपूर्णता को बताया और यहां तक कहा कि गणित अच्छी नीति और निर्णय लेने में सहायक हो सकता है। उन्होंने लोगों को यह सिखाया कि वैदिक गणित के सिद्धांतों का उपयोग शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
उनके अनुसार, वैदिक गणित सीधे और आसान समाधान प्रदान करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी तरीकों का समृद्धि करता है। इसके सिद्धांतों में भाग, गुणन, और वर्गमूल के लिए सूत्र शामिल हैं, जो संख्यात्मक प्रस्तुतियों को आसानी से समझने में मदद करते हैं।
स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी का वैदिक गणित में योगदान न केवल गणितीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसने लोगों को गणना की कला में रुचि लेने के लिए प्रेरित भी किया है। उनका योगदान आज भी गणित के क्षेत्र में एक अमूर्त स्रोत के रूप में माना जाता है और उनके सिद्धांतों ने गणित को सरल, रूचिकर, और सार्थक बनाए रखा है।
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